मधुबनी पेंटिंग भारत के सब स प्रसिद्ध कला रूप में स एक मिथिला पेंटिंग के रूप में सेहो प्रसिद्ध अछी। मधुबनी चित्रकला जटिल ज्यामितीय पैटर्न जंका अलग अलग विशेषता स संपन्न अछी।
मिथिला बिहारक सांस्कृतिक केन्द्र अछि आ एकर सौन्दर्य सँ बनल अछि। मिथिला अपन पान, माच, आ मखान संस्कृति लेल सुप्रसिद्ध अछि। मिथिलाक खाद्य संस्कृति एकदम अलग अछि। अगर मिथिला व्यंजन के विशिष्टता के गिनती करब शुरू करब त अनगिनत चीज भेटत।
मैथिली के साहित्य में मैथिली भाषा में कविता, उपन्यास, लघुकथा, दस्तावेज, एवं अन्य लेखन शामिल अछि। मैथिलीक एकटा लंबा साहित्यिक परम्परा अछि। ओना मैथिलीक विभिन्न कवि, साहित्यकार, नाटककार, आ आन-आन लोक सभ एकटा महान भारतीय साहित्य केँ जीवित रखबाक लेल पूरा प्रयास कय रहल छथि, मुदा एहि पर एखनो बेसी ध्यान देबाक आवश्यकता अछि।
मिथिला सांस्कृतिक क्षेत्रक रूपमे जानल जाइत अछि। मिथिला संस्कृति ओ संस्कृति थिक जकर उत्पत्ति मिथिला सँ भेल। मिथिला क्षेत्र अपन संस्कृति के कारण राज्य में या बाहर रहय वाला सब बिहारी के लेल हमेशा स गौरव के पात्र रहल अछि। मिथिला संस्कृति में मधुबनी पेंटिंग, मिथिला नृत्य, मिथिला व्यंजन, आ मिथिला साहित्य शामिल अछि।
मिथिलांगनक एकमात्र परिकल्पना अछि जे विश्व भरि मे मैथिली भाषी लोकनिक बीच मैथिली भाषा सँ जुड़ल भाषिक स्वार्थ केँ संरक्षित आ संवर्धित कयल जाय। मिथिलांगन सामाजिक, सांस्कृतिक, आ शैक्षिक कार्यक्रमक विकास पर केन्द्रित अछि जाहि सँ एहि कार्यक्रम सभ मे सभ सदस्यक सक्रिय सहभागिता केँ प्रोत्साहित कयल जा सकय। मिथिलांगनक मानब अछि जे जखन कोनो भाषा मरि जाइत अछि तखन आगामी पीढ़ी संस्कृतिक एकटा महत्वपूर्ण अंग गमा लैत अछि जे ओकरा पूर्ण रूप सँ बुझबाक लेल आवश्यक अछि। ओतय ई भाषा केँ सांस्कृतिक धरोहरक एकटा कमजोर पक्ष बना दैत अछि जकरा लेल मिथिलांगन काज कय रहल अछि ।
जेना कि “मिथिलंगन” नाम सँ सुझाओल गेल अछि एकर शुरुआत वर्ष 1992 मे मैथिली बजनिहार युवा, भावुक, आ समर्पित मनक समूह द्वारा कयल गेल छल। समय के साथ मिथिलांगन वैश्विक स्तर पर अपन पैर के निशान तक रखने अछि। एहि संस्था द्वारा कयल गेल प्रयास देखि असंख्य संस्था मिथिलांगन संग हाथ मिला लेलक अछि।
साहित्य, संगीत, कला, पत्रकारिता, समाज कल्याण, फिल्म, रंगमंच, व्यापार, नौकरशाही, आ बहुत रास क्षेत्रक माध्यम सँ मैथिलीक समृद्ध धरोहर केँ पहुँच आ प्रचार-प्रसारक लेल संस्था विद्यमान अछि। ई २७ वर्ष पुरान संस्था मिथिलांगन सदस्यक बीच मैथिली भाषा आ परम्पराकेँ पोसब आ पोसब आ एक-दोसरसँ संजाल आ बातचीत करबाक मंच प्रदान करए चाहैत अछि।
एतय अहाँ सब के सब अलग-अलग गतिविधि जेना चर्चा, प्रतियोगिता, पाक कला, कविता, आ एहने बहुत रास गतिविधि सब मिथिला स संबंधित भेटत।